अगर आप Matlabi Rishte Shayari ढूंढ रहे हैं, तो यहां आपको दिल को छू जाने वाली बेहतरीन शायरियां मिलेंगी। इस लेख में हम मतलबी रिश्तों पर शायरी और स्वार्थी लोग मतलबी रिश्ते शायरी के जरिए उन नकली रिश्तों की सच्चाई बयां करेंगे, जो सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही अपनेपन का दिखावा करते हैं।
आजकल रिश्ते सिर्फ नाम के रह गए हैं, क्योंकि ज्यादातर लोग अपने फायदे के लिए ही किसी से जुड़ते हैं। जब तक जरूरत होती है, तब तक साथ निभाते हैं, लेकिन काम निकलते ही बदल जाते हैं। यह देखना दुखद है कि जहां पहले रिश्तों में अपनापन और सच्चाई होती थी, वहीं अब मतलब और स्वार्थ हावी हो गया है।
इस ब्लॉग में हम ऐसे मतलबी रिश्तों और स्वार्थी लोगों की सच्चाई को शायरी के जरिए बयां करेंगे, जो हर किसी के दिल से जुड़ी होगी। अगर आपने भी कभी ऐसे नकली रिश्तों का दर्द झेला है, तो यह शयरियाँ आपको जरूर पसंद आएंगी।
Matlabi Rishte Shayari

मतलबी लोगों से अब डर लगता है,
हर हंसता चेहरा अंदर से छल करता है।
जो अपने थे, वो पराए बन गए,
रिश्तों में अब दर्द ही दर्द बसता है।
जब तक जरूरत थी, तब तक अपने थे,
जब काम निकल गया, तो सपने थे।
मतलब की दुनिया का ये दस्तूर है,
मतलबी रिश्तों से दिल मजबूर है।।
रिश्ते भी अब सौदेबाजी हो गए,
मतलब के बिना सब बेगाने हो गए।
जब तक फायदा, तब तक प्यार,
वरना अपने ही हमसे अनजाने हो गए।।
हमने जिन पर ऐतबार किया,
उन्हीं ने हर बार धोखा दिया।
रिश्तों की इस मतलबी दुनिया में,
हमने अपना हर जज़्बात गवा दिया।।
किसी से ज्यादा उम्मीद मत रख,
यहां अपने भी अपने नहीं होते।
मतलब निकल जाने के बाद,
लोग एक पल में पराए हो जाते।।
जो दिल से अपने थे,
वो काम के लिए पराए हो गए।
हमने जिन्हें रिश्तों की पूजा की,
वो हमें ठुकराने में माहिर हो गए।।
मतलब की इस दुनिया में,
सच्चाई का कोई मोल नहीं।
हर रिश्ता तभी तक गहरा है,
जब तक कोई झूठ बोल नहीं।।
Matlabi Rishte Dhoka Shayari

रिश्तों में अब वो बात कहाँ,
हर कोई बस अपने मतलब का यहाँ।
जब तक ज़रूरत तब तक प्यार,
फिर छोड़ दिया बेकार समझकर हमें यार।।
जिसे समझा था हमसफ़र अपना,
उसी ने राहों में कांटे बिछाए।
हमने निभाई रिश्तों की रस्में,
उन्होंने हमें धोखे के आँसू पिलाए।।
ये शहर मतलबी लोगों से भरा है,
हर चेहरा नकली नकाब में घिरा है।
जिसे दोस्त समझकर दिल दिया,
वही सबसे बड़ा दुश्मन निकला।।
मतलब निकलते ही लोग बदल जाते हैं,
पहले अपने, फिर अजनबी बन जाते हैं।
कभी जो निभाने की कसमें खाते थे,
आज हमें पहचानने से भी कतराते हैं।।
हमने दिल दिया था मोहब्बत में,
उन्होंने खेल बना दिया रिश्तों को।
हम समझे थे सच्चाई की मूरत,
पर वो सिर्फ मतलब से जुड़े थे हमसे।।
इस मतलबी दुनिया में कौन किसका है,
हर इंसान बस अपने फायदे का है।
दिल से निभाओ तो चोट ही मिलेगी,
मतलब से चलो तो सब अपने लगेंगे।।
एक बार किसी पर भरोसा कर के तो देखो,
फिर देखो कैसे वो धोखा देते हैं।
जो कल तक कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे,
आज दूर से देखकर भी अनदेखा करते हैं।।
दोस्ती भी अब मतलब से होती है,
इंसान की कीमत बस जरूरत से होती है।
जब तक काम तब तक अपने,
फिर गैर समझकर छोड़ दिया करते हैं।।
जो हंसकर गले लगाते हैं,
वही पीठ पीछे वार कर जाते हैं।
मतलबी लोगों की पहचान यही है,
सामने कुछ और, दिल में कुछ और बसाते हैं।।
कभी हमसे किया था प्यार का इज़हार,
आज गैरों के साथ वो मस्त हैं यार।
मतलब था जब तक तब तक साथ,
अब हमें पहचानने से भी इनकार।।
रिश्तों की मिठास बस दिखावा है,
हर कोई बस खुद का लाभ चाहता है।
जो जितना मीठा बोलता है,
वो उतना ही पीठ पीछे वार करता है।।
अब तो हमें आदत हो गई है,
मतलबी लोगों की इस दुनिया की।
हर कोई मतलब से पास आता है,
फिर मौका देखकर हमें ठुकरा जाता है।।
सच्चे रिश्ते मुश्किल से मिलते हैं,
मतलब के लोग हर जगह मिलते हैं।
जो दिल से निभाते हैं,
वो ही सबसे ज्यादा धोखा खाते हैं।।
Matlabi Rishte Ghamand Shayari

रिश्तों में मतलब और चेहरे पर घमंड का नशा,
आजकल हर अपना गैर बन बैठा।
वक्त के साथ सबका रंग बदल जाता है,
मतलब निकलते ही रिश्ता दूर चला जाता है।
मतलबी लोगों से अब कोई उम्मीद नहीं,
दिल से निभाए रिश्तों की अब कोई कीमत नहीं।
घमंड में चूर होकर जो दूर चले गए,
वक्त आएगा जब अकेले रह जाएंगे।
घमंड की चादर ओढ़े थे जो रिश्तों के नाम पर,
आज वो अकेले खड़े हैं इस अंधेरे मकाम पर।
मतलब के लिए साथ देने वाले,
आज पहचानने से भी इंकार कर गए।
जिन्हें अपने घमंड पर भरोसा था,
आज अकेले खड़े हैं बेगानों की तरह।
मतलब के लिए रिश्ता निभाने वाले,
आज खुद को धोखा दे बैठे हैं।
हर रिश्ता अब मतलब से भरा है,
दिल से निभाने वाला कोई नहीं बचा है।
जब तक जरूरत तब तक साथ देते हैं,
काम निकलते ही पराया कर देते हैं।
कुछ लोग अपना बनकर भी अपने नहीं होते,
वो सिर्फ अपने मतलब तक साथ देते हैं।
जब काम खत्म हो जाता है,
तब पहचानने से भी इंकार कर देते हैं।
जो कल तक हमारे साथ खड़े थे,
आज वही हमें अनदेखा कर रहे हैं।
मतलब खत्म होते ही
रिश्तों का भी अंत कर देते हैं।
कोई साथ निभाने का वादा करता है,
और कोई जरूरत पड़ने पर मुंह मोड़ता है।
मतलबी दुनिया में सच्चे रिश्ते कम हैं,
हर किसी का अपना एक अलग भ्रम है।
किसी को अपना समझना सबसे बड़ी गलती है,
क्योंकि लोग जरूरत पूरी होते ही बदल जाते हैं।
जिनसे सबसे ज्यादा उम्मीद होती है,
वही सबसे पहले धोखा दे जाते हैं।
दुनिया में अब भरोसे की कोई जगह नहीं,
हर कोई अपने मतलब से आगे नहीं देखता।
सच्चे रिश्ते निभाने वाले अब गिने-चुने हैं,
बाकी सब बस दिखावा करते हैं।
चालाक झूठे मतलबी रिश्ते शायरी

हर चेहरे के पीछे एक नया नकाब है,
झूठ, चालाकी और स्वार्थ का हिसाब है।
जो कल तक अपनी जान बताया करते थे,
आज हमारी परछाईं से भी डरते हैं।
झूठी बातों से जो रिश्ते बनाए जाते हैं,
वो वक्त के साथ खुद ही मिट जाते हैं।
जो लोग सिर्फ मतलब के लिए साथ होते हैं,
वो दर्द देने के बाद खुद ही दूर हो जाते हैं।
अब न भरोसा रहा, न कोई आस बची,
मतलब परस्त दुनिया में हर उम्मीद मरी।
जो कल तक हमारे बिना अधूरे थे,
आज हमें ही अधूरा छोड़कर चले गए।
चालाक लोगों से अब हम घबराने लगे हैं,
हर रिश्ते में मतलब के धागे नजर आने लगे हैं।
जो कल तक हर बात पर कसम खाते थे,
आज वही बातें काटने पर उतर आए हैं।
हर शख्स यहां बस अपना मतलब साधता है,
काम निकलते ही रिश्तों को त्यागता है।
जो चेहरे पर मुस्कान लिए बैठे हैं,
अक्सर वही दिल में नफरत पालता है।
कल तक जो हर दर्द अपना कहते थे,
आज वही हमें अजनबी समझते हैं।
रिश्तों की इस भीड़ में इतने धोखे मिले,
कि अब अपनों से भी डर लगने लगा है।
अब रिश्तों से उम्मीद नहीं रही,
हर जगह बस धोखे की कहानी दिखी।
जो कल तक हमारी हंसी के साथी थे,
आज वही हमें रुलाने की वजह बन गए।
चालाकियों में लिपटे हैं सारे चेहरे,
मतलब के लिए बदलते हैं गहरे रिश्ते।
सच बोलो तो दुश्मन बना देते हैं,
झूठी मुस्कानों से जाल बिछा देते हैं।
चालाक थे वो, हमें भी चालाक समझ बैठे,
झूठी हंसी के पीछे नीयत काली रख बैठे।
जो अपने थे, वक्त के साथ परख लिए,
हर मुस्कान के पीछे सौ चालें रख बैठे।
मतलबी दुनिया में सच्चाई ढूंढ रहे थे,
रिश्तों की भीड़ में अपनापन ढूंढ रहे थे।
पर हर चेहरा एक नकाब बन चुका था,
हम भी खुद को ही बेवकूफ बना रहे थे।
झूठे थे वो, पर हम सच मान बैठे,
हर मीठी बात को दिल से जान बैठे।
जब फरेब का पर्दा उठा आँखों से,
तब जाना, हम तो बस एक मोहर थे।
स्वार्थी लोग मतलबी रिश्ते शायरी

रिश्तों की इस दुनिया में सच्चाई अब कहीं खो गई,
हर चेहरे के पीछे एक नई पहचान हो गई।
कल जो अपने थे, आज अनजान बन गए,
मतलब निकलते ही रास्ते अलग हो गए।
जब जरूरत थी, तो हर वक्त पास रहते थे,
अब मिलने से भी पहले बहाने खोजते हैं।
रिश्तों का ये खेल समझ में तब आता है,
जब अपने ही गैरों से ज्यादा दर्द दे जाते हैं।
स्वार्थी लोगों के दिलों में अब कोई भाव नहीं,
रिश्तों की गर्माहट में अब वो पहले सा चाव नहीं।
जो कल तक हमारे साथ खड़े मुस्कुराते थे,
आज वही देखकर भी अनदेखा कर जाते हैं।
हर रिश्ता अब सिर्फ मतलब के तराजू में तोला जाता है,
जो ज्यादा फायदा देगा, वही अपना कहा जाता है।
हमने दिल की सुनी और हार गए इस दुनिया में,
लोग दिमाग से खेले और हमें अकेला कर गए।
कल जो अपने थे, आज वो अजनबी बन गए,
हमारी दोस्ती और प्यार सब बेअसर हो गए।
जब तक काम था, तब तक हर लम्हा साथ था,
अब हाल पूछने तक की फुर्सत नहीं बची उनके पास।
हमने रिश्तों को दिल से निभाना चाहा था,
पर उन्हें बस अपना फायदा देखना आया था।
अब हम भी इस मतलबी दुनिया का हिस्सा हो जाएंगे,
जहाँ अपनापन सिर्फ एक दिखावा रह जाएगा
स्वार्थी लोग जब तक जरूरत होती है, तब तक साथ निभाते हैं,
फायदा खत्म होते ही हमें गैर बना जाते हैं।
कभी हम उनके लिए सबसे खास थे,
अब हमारी याद भी उनके लिए बेकार है।
दिल से निभाने वाले को दुनिया मूर्ख कहती है,
मतलब से जीने वाले को चालाक कहती है।
हमने इस दुनिया को समझने में देर कर दी,
अब खुद से भी भरोसा उठता जा रहा है।
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निष्कर्ष
आज के समय में ज्यादातर रिश्ते स्वार्थ पर टिके होते हैं। लोग जब तक फायदा होता है, तब तक अपनेपन का दिखावा करते हैं और काम निकलते ही दूर हो जाते हैं। ऐसे मतलबी लोगों से बचना जरूरी है, क्योंकि सच्चे रिश्ते वही होते हैं जो बिना स्वार्थ के निभाए जाते हैं।
हमें खुद को मजबूत बनाना होगा और ऐसे लोगों से दूर रहना होगा जो सिर्फ जरूरत के वक्त साथ होते हैं। सच्चे और निस्वार्थ लोग कम होते हैं, लेकिन अगर हम खुद अच्छे बने रहेंगे, तो एक दिन हमें भी वैसे ही लोग मिलेंगे जो बिना स्वार्थ के हमारा साथ निभाएंगे।
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